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कंप्यूटर क्या है? और कंप्यूटर कैसे काम करता है ?

कंप्यूटर क्या है? और कंप्यूटर कैसे काम करता है ?

Last Updated on October 22, 2023 by Mani_Bnl

कंप्यूटर क्या है? और कंप्यूटर कैसे काम करता है ? कंप्यूटर आजकल हर घर में मिलने वाला एक गैजेट है। अगर आप भी कंप्यूटर को विस्तार में जानना चाहते है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े। इस आर्टिकल में हमने कंप्यूटर क्या है ?

डाटा (Data)सूचना (Information)डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) ,कम्प्यूटरों का महत्त्व(Importance Of Computers) ,कंप्यूटर बनाम मनुष्य (Computer Vs Human Being) ,कंप्यूटर बनाम कैलकुलेटर (Computer Vs Calculator) ,कंप्यूटर बनाम टाइपराइटर (Computer Vs Typewriter) ,कंप्यूटर के गुण (Characteristics Of Computer) ,कंप्यूटर कैसे कार्य करता है ? (How Does Computer Work ?) को डिटेल और आसान से आसान शब्दो में समझाया है।

कंप्यूटर क्या है?

संसार में शायद ही कोई ऐसा पढ़ा लिखा व्यक्ति होगा,जिसने कंप्यूटर का नाम न सुना हो , ज्यादतर लोग कंप्यूटर को एक मशीन मानते हैजो की सब कुछ कर सकती है ,हालांकि यह कहना तो सही नहीं होगा की कंप्यूटर सभी कार्य कर सकता है परन्तु इसमें संदेह नहीं की वह बहुत कुछ कर सकता है।

कंप्यूटर हर कार्य को बड़ी तेजी से और सही कर सकता है। ऐसी लिए आज के युग में कंप्यूटर का विस्तार बहुत बढ़ चूका है। आज के इस आधुनिक युग में कंप्यूटर के जरिए कार्य करना बहुत सरल हो गया है। यही कारण है की कम्पूटरो की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है।

आज कल कम्पूटरो का इस्तेमाल हर फील्ड में कंप्यूटर का महत्व बढ़ गया है। Schools ,Colleges ,Offices ,Jobs ,Online Working में कंप्यूटर का काफी इस्तेमाल होता है। आज के इस नविन युग में हर छोटे से छोटा कार्य करने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है।

जैसे कि किसी को संदेश भेजना ,फाइल्स को सुरक्षित दूसरे कंप्यूटर तक भेजना ,डाटा को सुरक्षित सभाल कर रखना और किसी को मेल भेजना यह सभी कार्य कंप्यूटर के जरिए बहुत ही आसनी से हो जाते है जिस से समय की भी बचत होती है।

आइये देखते है की कंप्यूटर की खोज किसने और कब ?

कंप्यूटर का अविष्कार 19 सेंचुरी में Charles Babbage नामक एक प्रसिद्ध मैथमेटिक्स प्रोफेसर ने की थी। इसी लिए उनको Father Of Computer भी कहा जाता है। उन्होंने सबसे पहले Programmable Computer का डिज़ाइन तैयार किया था। 1822 में Charles Babbage ने डिफरेंशिअल इंजन नाम के मैकेनिकल कंप्यूटर का अविष्कार किया था।

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Computer का फुल फॉर्म :

Computer का फुल फॉर्म : Commonly Operated Machine Particularly Used Technical Education Research.

Computer का फुल फॉर्म हिंदी में :

  • सी -आम तौर पर
  • ओ -संचालित
  • एम -मशीन
  • पी -विशेष रूप से
  • यु -पर्युक्त
  • टी -तकनीकी
  • ई -शैक्षिणिक
  • आर -अनुसंधान।

सबसे पहले तो यह समझना जरुरी है कि कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है , जैसे की इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर होता है। कॅल्क्युलेटर्स पर हम जोड़ना , घटाना आदि अंकगणितीय क्रियाएँ करते है , जबकि कंप्यूटर पर हम इन क्रियाओ के अलावा भी बहुत काम कर सकते है।इन कामो को डाटा प्रोसेसिंग कहा जाता है , डाटा प्रोसेसिंग को समझना के लिए डाटा को समझना बहुत जरुरी है।

डाटा (Data) :

किसी वास्तु के बारे में किसी तथ्य या जानकारी को डाटा कहा जाता है उदाहरण के लिए, जिस पेन से हम लिखते है , उसके बारे में कई जानकारी दी जा सकती है, जैसे कि पेन का वजन , उसका रंग, उसकी लम्बाई , उसकी कीमत , बनाने वाली कम्पनी आदि।

इसी प्रकार किसी स्टूडेंट के बारे में ये बातें जनि जा सकती है -नाम , कक्षा ,रोल नं. , जन्मतिथि ,पिता का नाम, लिए गए विषय, घर का पता आदि, ये सभी बातें डाटा के लिए उदारण है।

डाटा मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है – संख्यात्मक (Numeric) तथा चिह्नात्मक (Alpha-Numeric). अंको (Digits) से बने हुए डाटा को संख्यात्मक डाटा कहा जाता है , जैसे रोल नं., लम्बाई , मूल वेतन आदि , संख्यात्मक डाटा से हम केवल 0, 1, 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 तथा 9 इन दस अंको का प्रयोग करते है और इनके साथ दशमलव बिंदु (.) ,धन (+) और ऋण (-) चिन्हो का भी प्रयोग कर सकते है।

जोड़ना , घटाना , गुणा करना , भाग देना आदि गणितीय क्रियाए केवल संख्यात्मक डाटा पर की जा सकती है। चिन्हात्मक डाटा उस डाटा को कहा जाता है।

जिसमे अक्षरों तथा अंको सहित किसी भी चिन्ह का प्रयोग किया जा सकता है, जैसे घर का पता, किसी पुस्तक का शीर्षक, कोई पत्र या लेख, किसी कम्पनी का नाम आदि, चिन्हात्मक डाटा पर जोड़ना, घटाना आदि गणितीय क्रियाए नहीं की जा सकती, परन्तु हम उनकी जांच या तुलना कर सकते है।

उपयोग के अमुसार डाटा अन्य प्रकार के भी होते है। जिनके बारे आप आगे पढ़ेंगे, कंप्यूटर में सभी प्रकार के डाटा को पढ़ा जा सकता है, उसे स्टोर किया जा सकता है और छापा भी जा सकता है।

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सूचना (Information) :

यूं तो हमारे पास बहुत प्रकार के डाटा का भंडार होता है , परन्तु वह सारा हमारे लिए हमेशा उपयोगी नहीं होता, क्योकि डाटा अलग अलग बिखरे हूए अवयवसिथत तथ्य है , जिसने कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है।

उदाहरण के लिए, किसी कक्षा में पढ़ने वाले लड़को की अलग अलग उम्र हमारे लिए डाटा है , परन्तु हमे उस कक्षा की औसत उम्र (Average Age) की जरुरत है। यह हमारे लिए उपयोगी डाटा को कंप्यूटर की भाषा में सूचना कहा जाता है। हम डाटा इकठा ही इसलिए करते है की उसमे से सूचना निकाल सके।

इसके लिए हमे डाटा पर कुछ विशेष क्रियाएँ करनी पड़ती है। जैसे स्टूडेंट्स की अलग अलग उम्रो में से औसत उम्र पैट करने के लिए पहले हम उन सबकी उम्रो की जोड़ेगे, फिर सभी स्टूडेंट्स को गिनेंगे और अन्त में उम्रो के योग में स्टूडेंट्स की संख्या से भाग देंगे।

इससे उनकी औसत उम्र निकल आएगी। अलग अलग स्टूडेंट्स की उम्र हमारे लिए केवल डाटा है, इसकी तुलना में औसत उम्र हमारे लिए अधिक उपयोगी है।

डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) :

अलग अलग उम्रो से औसत उम्र निकलने हमे जोड़ना, गिन्ना, भाग देना आदि जो कार्य करने पड़े, उन्हें प्रोसेसिंग कहा जाता है। इसी प्रकार डाटा से सूचना निकलने के लिए हमे बहुत सी क्रियाएँ करनी पड़ती है। उन सब क्रियाओ को डाटा प्रोसेसिंग कहा जाता है।

डाटा प्रोसेसिंग हम कागज कलम लेकर हाथ से भी कर सकते है , परन्तु आजकल हम यह काम कंप्यूटर की सहायता से करते है। लेकिन क्युकी कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है। इसीलिए इस सारी क्रिया को इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग ( Electronic Data Processing ) में ई.डी.पी (E.D.P) कहा जाता है।

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कम्प्यूटरों का महत्त्व (Importance Of Computers) :

आजकल हर आदमी जिसने कंप्यूटर का नाम सुन रखा है, इसका महत्त्व जानता है , बड़ी बड़ी कम्पनियों और सरकारी दफ्तरों में डाटा को स्टोर करने और उसकी देखभाल करने में तो कंप्यूटर का प्रयोग होता ही है, बिजली और टेलीफ़ोन के बिल बनाने, रेलों में बर्थो या सीटों का आरक्षण करने जैसे आम जनता के कार्यो में भी कंप्यूटर का बहुत उपयोग होने लगा है।

यह दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। शिक्षा तथा मनोरंजन के क्षेत्रो में भी कम्प्यूटरो का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। वर्तमान व्यस्त दिनचर्य के समय में जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटर्स का प्रयोग अनिवार्य हो गया है , क्योकि कंप्यूटर से हमारे अमूल्य समय की बचत होती है , दूसरी ओर, आंकड़ों की बढ़ती हुई मात्रा के कारण उनका मानव रखरखाव करना जटिल होता जा रहा है, कम्प्यूटर्स का उपयोग इसीलिए और भी आवयश्क हो गया है।

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कंप्यूटर बनाम मनुष्य (Computer Vs Human Being) :

कंप्यूटर के बहुत से कामों को देखकर आप सोचते होंगे कि इनमें बुद्धि होती होगी, परन्तु वास्तव में कंप्यूटर में एक छोटे कीड़े के बराबर भी बुद्धि नह होती। वह केवल दिए गए आदेशों का पालन करता है। इतने से ही वह बहुत से काम कर लेता है। हम उनसे छोटे से छोटा काम करने के लिए भी पुरे आदेश देने पड़ते है।

बिना आदेश दिए वह कुछ नहीं कर सकता है। यदि हमारे दिए गए आदेश सही होंगे, तो काम भी सही सही होगा और अगर आदेश गलत होंगे, तो काम भी गलत हो जायेगा, कंप्यूटर को सही आदेश देना और उससे बड़े बड़े कार्य करा लेना भी एक कला है, आप इस किताब से यही कला सीखेंगे।

कंप्यूटर के काम करने के तरीके की तुलना हम खुद अपने काम करने के तरीके से क्र सकते है। हम अपने कानों से सुनकर तथा आँखों से देखकर कोई बात समझते है, अपने दिमाग से उस पर विचार करते है और उसे याद रखते है तथा अपने हाथ पैर या मुँह से उसका उत्तर देते है यानी एक्शन लेते है।

कंप्यूटर भी लगभग इसी तरह काम करता है। अपनी यूनिट से वह डाटा और आदेश लेता है, मैमोरी में उन्हें स्टोर करता है, प्रोसेस्सर पर उनका पालन करता है और आउटपुट यूनिट पर परिणाम दे देता है, परन्तु मनुष्य और कंप्यूटर में सबसे बारे अंतर यह है कि हमारे काम करने की गति बहुत धीमी होती है।

जबकि कंप्यूटर के काम करने की गति बहुत तेज होती है। इसीलिए जिसब किताब का जो काम हम घंटो में कर पाते है , कम्प्यूटर उसे सेकण्ड्स में ही कर डालता है। दूसरा मुख्य अंतर यह है की एक जड़ मशीन होने के कारण कंप्यूटर न तो मनुष्य की तरह थकान अनुभव करते है और न ही बोरियत, यही कारण है की वे एक सा कार्य किनती ही बार उसी गति एंव शुद्धता से बिना एकाग्रता खोए करते रह सकते है।

कंप्यूटर बनाम कैलकुलेटर (Computer Vs Calculator) :

कुछ लोग कंप्यूटर को एक अच्छी क्वालिटी का कैलकुलेटर ही समझते है। ऐसा सोचते सही नहीं है। कैलकुलेटर में हम केवल जोड़ना, घटाना, गुणा करना , भाग देना आदि गणित की क्रियाए ही कर सकते है, परन्तु कंप्यूटर में हम इससे कही ज्यादा काम कर सकते है।

दूसरी बात, कैलकुलेटर हमारे डाटा को स्टोर करके नहीं रख सकता, जबकि कंप्यूटर में डाटा का भंडार रखा जा सकता है। तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कैलकुलेटर हमारे आदेशों को यद् नहीं रख सकता है। जितनी बार भी हमे जोड़ने की क्रिया करनी हो, उतनी ही बार हमे जोड़ वाला बटन दबाना पड़ता है।

लेकिन कंप्यूटर में हमे अपने ढेर सरे आदेश (प्रोग्राम) भर सकते है और आटोमैटिक तरीके से उनका पालन करा सकते है।

कंप्यूटर बनाम टाइपराइटर (Computer Vs Typewriter) :

बहुत से लोग कंप्यूटर को टाइपराइटर का बड़ा भाई या कोई छोटी-मोटी प्रिटिंग मशीन ही मानते है। यह बात भी सही नहीं है। टाइपराइटर में हम एक बार टाइप करके अधिक से अधिक एक पेज छपवा सकते है, जिसकी 4 या 5 कार्बन कॉपी भी निकल सकती है।

परन्तु कंप्यूटर में हम एक बार में सैकड़ो पन्नो की रिपोर्ट छपवा सकते है और उसे दोबारा टाइप किए बिना जितनी बार चाहे उतनी बार छपवाया जा सकता है। इससे भी बड़ी बात यह है की कंप्यूटर में हम किसी रिपोर्ट में अपनी इच्छा से कैसा भी सुधार करके उसे फिर से छपवा सकता है। यह कार्य टाइपराइटर में कभी भी नहीं किया जा सकता।

कंप्यूटर के गुण (Characteristics Of Computer) :

अब तक आप कंप्यूटर के बहुत से गुणों के बारे में जान गए होंगे। इन्ही गुणों के कारण कंप्यूटर आजकल मनुष्य का सबसे बड़ा और विश्वास करने योग्य मित्र बन गया है।

उसके कुछ मुख्य गुण इस प्रकार है – किसी भी काम को बहुत तेज़ गति से करना, जो और जितना काम बताया जाए वह और उतना ही काम करना, हर काम को पूरी तरह सही सही करना, अपनी ओर से कोई भूल या गलती न करना , अपना काम बिना रुके बिना किसी मदद करते रहना, आंकड़ों के भंडार को कम जगह में संग्रह करके रखना तथा आवयश्कता पड़ने पर उन्हें सरलता से तुरंत उपलब्ध कराना आदि।

कंप्यूटर कैसे काम करता है? (How Does Computer Work ?)

कंप्यूटर कोई भी कार्य स्वयं नहीं करता, बल्कि हमारे निर्देश पर किसी प्रोग्राम के अनुसार ही कार्य करता है। प्रत्येक प्रोग्राम को कोई कार्य करने के लिए इनपुट डाटा की आवयश्कता होती है। हम इनपुट साधनो जैसे की-बोर्ड, माउस , स्कैनर आदि के द्वारा अपना इनपुट डाटा प्रोग्राम कंप्यूटर को देते है या भेजते है।

कंप्यूटर की सी.पी.यू. अथवा प्रोसेसर द्वारा हमारे दिए गए आदेशों अर्थात प्रोग्राम का पालन किया जाता है। यह प्रोग्राम इस तरह से लिखा होता है कि उसका ठीक ठीक पालन करने से कोई काम पूरा हो जाता है।

प्रोग्राम का पालन पूरा हो जाने पर अथवा बीच में ही प्रोग्राम का परिणाम अर्थात आउटपुट किसी आउटपुट साधन जैसे स्क्रीन या प्रिंटर पर भेज दिया जाता है , जिसे हम देख तथा पढ़ सकता है।

  • इनपुट के साधनों जैसे की-बोर्ड, माउस ,स्कैनर आदि के द्वारा हम अपने निर्देश ,प्रोग्राम तथा इनपुट डाटा प्रोसेसर को भेजते है।
  • प्रोसेसर हमारे निर्देश तथा प्रोग्रामो का पालन करके कार्य सम्पन्न करता है।
  • प्रोग्राम का पालन हो जाने पर आउटपुट को स्क्रीन, प्रिंटर आदि साधनो पर दिखा या छिपा दिया जाता है।
  • भविष्य के प्रयोग के लिए सूचनाओं को भंडारण के माध्यमो जैसे हार्ड डिस्क, फ्लापी डिस्क आदि पर एकत्र किया जा सकता है।

यदि आप प्रोग्राम या आउटपुट या दोनों को भविष्य में प्रयोग करने के लिए सुरक्षित रखना चाहते है, तो उन्हें सूचना संचित करने के विशेष साधनो जैसे फ्लॉपी डिस्क या हार्ड डिस्क पर भेज कर सुरक्षित कर सकते है।

यह था हमारा कंप्यूटर क्या है? और कंप्यूटर कैसे काम करता है ? आर्टिकल जिसमे हमने आपको आसान शब्दो जरिये कंप्यूटर के बारे में समझाया है। उम्मीद करता हु आपको आर्टिकल के माध्यम से आपके सारे सवालों के जबाब आपको मिल गए होंगे। इससे जुड़े सवाल या सुझाव हमे कमेंट बताए।

Source: wikipedia

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